वास्तु द्वारा धन प्राप्ति
- प्राचीन भारतीय वास्तुशास्त्र भी साधारण मनुष्य के लिए धन प्राप्ति में विशेष सहायक सिद्ध हो सकता है । किंतु इसके लिए वास्तु के कुछ नियम-कायदों का ख्याल रखना और सावधानीपूर्वक उनका प्रयोग करना परम आवश्यक है। यहां हम वास्तु द्वारा लक्ष्मी प्राप्ति में सहायक कुछ प्रभावशाली स्वर्णित सूत्रों को प्रस्तुत कर रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप लाभ उठा सकते हैं-
- घर अथवा व्यापार स्थल में पूजा स्थान ( मंदिर) सदैव उत्तरी-पूर्वी दिशा अर्थात् ईशान कोण में ही होना चाहिए।
- ईशान कोण (उत्तरी पूर्वी हिस्सा ) सदैव खुला, स्वच्छ एवं पवित्र ही रखना चाहिए। इस हिस्से में कोई भारी वस्तु अथवा अपवित्र सामग्री कदापि नहीं रखनी चाहिए।
- घर के ईशान कोण में भगवान विष्णु की परमप्रिय लक्ष्मी स्वरुपा विष्णु प्रिया (तुलसी का पौधा) रखकर प्रतिदिन दर्शन-पूजनादि करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और बरकत होती है।
- घर के उत्तरी-पूर्वी हिस्से (ईशान ) में मछली – घर (एक्वेरियम), पानी का फव्वारा, फूलों वाले पौधे अश्रवा सुंदर गुलदस्ते रखने से घर में भौतिक समृद्धि में वृद्धि होती
- दुकान अथवा शोरुम में ईशान कोण (उत्तरी-पूर्वी हिस्सा) को छोड़कर अन्य किसी भी हिस्से में शो-केस अथवा डिस्प्ले बोर्ड को लगाया जाना चाहिए।
- तिजोरी, गल्ला, कैश-बॉक्स, लॉकर अथवा धन रखने की अलमारी सदैव दक्षिण दिशा में इस प्रकार से रखनी चाहिए कि उसका मुँह उत्तर दिशा की ओर खुले। इससे धनसंग्रह में वृद्धि होती है।
- कैश बॉक्स, गल्ले अथवा तिजोरी में सदैव पाँच कौड़ी, शुद्ध चांदी से निर्मित लक्ष्मी-गणेश अथवा श्री यंत्र का सिक्का तथा “श्रीयंत्र + कुबेर यंत्र + कनकधारा यंत्र को लाल मखमल की पृष्ठभूमि में एक साथ प्रेम कराकर रखें तथा नित्य प्रति पूजन करने से धनवृद्धि होती है।
- फैक्ट्री अथवा कारखाने में भारी वस्तु या भारी मशीनों को सदैव ही फैक्ट्री के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से (नैऋत्य कोण) में ही रखना चाहिए।
- घर अथवा व्यापार स्थल में किसी भी रुप में अधिकाधिक पारदर्शी कांच अथवा रॉकक्रिस्टल ( स्फटिक) या स्फटिक से बनी हुई सामग्रियों का प्रयोग करने से अप्रत्याशित रुप में धन वृद्धि होती रहती है ।
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