सूर्य शांति से धन प्राप्ति
1.घर में “स्फटिक श्रीयंत्र” स्थापित करें एवं श्रीसृक्त का नियमित पाठ करें।
2.हरिवंश पुराण के अनुसार जातक को सिद्धिप्रद देवी की स्थापना करनी चाहिए।
3.आत्मबल बढ़ाना अभीष्ट हो तथा धन प्राप्ति की विशेष इच्छा हो तो “माणिक्य युक्त सूर्य यन्त्र'” स्वर्ण धातु में पहनें।
4.हरिवंश पुराण की कथा करें या सुनें तथा सूर्य को मीठा डाल कर अध्ध्य दें।
5.माणिक्य धारण करें। माणिक्य के अभाव में रातड़ी या तांबा धारण करें।
6.चारपाई के पायों में तांबे की कील गाड़े।
7.सूर्य नीच का हो तो सूर्य की चीजों का दान न लेवें और सूर्य उच्च का हो तो सूर्य की चीजों का दान न दें।
8.सूर्य के मंत्रों का किसी ब्राह्मण से जाप करावें।
9.सूर्य को प्रसन्न करने के लिए प्रातः जब आधा ही सूर्य उगे तो लाल पुष्प डालकर सूर्य को नियमित अर्घ्य दें।
10. प्रतिदिन लाल चंदन एवं केसर मिश्रित जल से सूर्यांजलि दे व गायत्री जप करें।
11. सूर्य यदि पाप ग्रहों के साथ हो, विशेष रुप से शनि या राहु की युति में हो तो विधिवत रुद्राभिषेक करें या कराएँ ।
12. रविवार को नमक का त्याग करे
13. लगातार 11 अथवा 21 रविवार तक कमल के लाल फूलों को गणेश जी पर चढ़ावें।
14. लगातार 5, 11 या 43 रविवार का व्रत करें ।
15. ग्यारह रविवार दोपहर में केवल दही-भात का सेवन करें।
16. बंदर को गुड़ और चने खिलाएं या बंदर का पालन करें।
17. सोना, तांबा, गुड़ आदि का दान करें।
18. बहते पानी में गुड़ बहाएँ ।
19. सूर्य पीड़ा की विशेष शांति हेतु इलायची, साठी चावल, खस, मधु, कमल, अमलतास, कुमकुम, मैनसिल और देवदार मिला कर 7 रविवार तक स्नान करें अथवा कनेर, महुआ के पुष्प तथा सुगन्धवाला-सबका चूर्ण मिलाकर 7 रविवार तक स्नान करें।
20. सूर्य कृत समस्त अरिष्टों के शमनार्थ सूर्य यन्त्र का विधिवत् अनुष्ठान एवं आदित्य-हृदय स्तोत्र का पाठ सर्वोत्तम और अमोघ है। इससे समस्त शारीरिक व्याधियों, शत्रु बाधा, विभागीय और सरकारी कार्य, विवाह आदि में निश्चित लाभ मिलता है।
21. नेत्र व्याधियों में सूर्य नमस्कार सहित “नेत्रोपनिषद्” का नित्य पाठ करें।
22. संक्रान्ति के दिन तुलादान सूर्य शांति में लाभदायक है।
23. अपना चाल-चलन ठीक रखें। गलत और आसामाजिक तत्वों से मित्रता न करें।
24. घर का आंगन खुला रखें तथा घर का द्वार पूर्व की ओर रखें।
25. यदि संतान बाधा कारक ग्रह सूर्य है तो यह समझना चाहिए कि भगवान शंकर और गरुड़ के द्रोह करने के कारण या पितर दोष के कारण जातक को संतान सुख नहीं है । अतः सूर्य के वेदोक्त मंत्रों के सात हजार जप एवं तत्संबंधित वस्तुओं का दान तथा सूर्य को अर्ध्य देते हुए रविवार का नियमित व्रत करना चाहिए। पितर दोष की शांति कराना भी आवश्यक होता है । इसके लिए लेखक से सम्पर्क कर सकते हैं।
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